तकदीर के बादलों को कर्मो की हवा चाहिए।
दवा जब लगे न इस छोटी सी दुआ चाहिए॥मन तो मिलता नहीं मेले में जा क्या करें
भावों को करें पवित्र ऐसी मन की गंगा चाहिए॥
हर मोड़ पर खड़ा करता हो याद हमें
साथी इस सच्चा परवरदिगार हमें बार-बार चाहिए॥फरा समझ अपनी निभाई है हर जिम्मेदारी
पार पड़े सकुशल मालिक बस तेरा आशीर्वाद चाहिए॥ |
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